घर छोड़ जबसे मै शहरों का दीवाना हो गया,

घर छोड़ जबसे मै शहरों का दीवाना हो गया,
यूं लगता है मुस्कुराए इक जमाना हो गया।
ढूंढ़ता फिरता हूं खुद को चारदीवारी में “स्वयं”
यूं लगता है जैसे हर कोई आज बेगाना हो गया।।
“स्वयं”