जाते – जाते एक काम कर जाऊँ।

जाते – जाते एक काम कर जाऊँ।
इक वसीयत तेरे नाम कर जाऊँ।।
कुछ रातें सुबकी हुई ।
कुछ यादें दुबकी हुई ।।
कुछ ख़त हैं महके हुए ।
और ख्वाब बहके हुए ।।
एहसास जागे हुए ।
और लम्हे भागे हुए ।।
इक अगन सी आँखों में ।
इक छुअन सी गालों पे ।।
कुछ सुबहें शामों सी ।
कुछ शामें रातों सी ।।
खामोशी बातों सी ।
और बातें यादों सी ।।
सब तेरे नाम कर जाऊँ
जाते-जाते यह काम कर जाऊँ…।।
शुभम आनंद मनमीत