शपथपत्र

अमावस्या के काली रात्रि पहर के किनारे
तुम्हारे रिक्तता में
मेरी डायरी के आज की तारीख़ के पन्ने पर
तुम्हारा किया गया हस्ताक्षर
पुरानी कागजी दस्तावेजों पर लिखा गया प्रमाण
तुम्हारा आख़िरी शपथपत्र है
जिसके सोलहवीं शताब्दी के किवाड़ों पर
उखेड़ित किया गया किसी मुगलकालीन ताड़पत्रों पर
मेरा पांडुलिपि का होना
जिस प्रतिकृति का शिलालेख पर खुदा हुआ
वर्तमान में मिला हड़प्पा सभ्यताओं के कटघरे में
न्यायाधीश के समक्ष गीता पर हाथ रख लिखा गया
शपथ जिसके चश्मदीद गवाह
पूर्णमासी के चंद्रमा पर अकस्मात् अमावस्या का हो जाना
एक दुनिया की मौत है!
जिसके कपाल क्रिया के तेरहवीं दिन
फिर…
यह कविता लिखने वाले अंतिम पंक्ति में
अंतिम अक्षर के बाद
पूर्णविराम खड़ी पाई का अंतिम बिन्दु पर
इसी कवि की मौत!
सुखद है सुर्योदय होना।
वरुण सिंह गौतम
Varun Singh Gautam