*शातिर बिचौलिया*(जेल से)

शातिर बिचौलिया(जेल से)
जुनैद की शादी को अभी लगभग 1 साल ही बीता था। उसकी पत्नी नदीमा कभी नहीं चाहती थी, कि जुनैद अपने अम्मा अब्बू का कहना माने और मेरी ओर कम ध्यान दें। जुनैद जब भी बाहर जाता था, तो वह नदीमा के लिए जब फल सब्जियांँ और अन्य सामान लेकर आता था, तो वह अपने अम्मा-अब्बू को भी दे देता था। यह बात नदीमा को बिल्कुल पसंद नहीं थी। धीरे-धीरे जुनैद नदीमा को पहले से अधिक प्यार करने लगा था, क्योंकि वह समझ चुका था, कि अब पूरा जीवन इसी के साथ व्यतीत करना है, इसलिए आपस में झगड़ा करना सही नहीं है। नदीमा देखने में एक सुंदर लड़की थी। वह अभी अठारह साल की ही होगी। उसकी बड़ी-बड़ी आंँखें, कंटीली जुल्फें और उमड़ती जवानी, हिलोरे लेता यौवन, जुनैद को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा था, जिसके कारण जुनैद उसके कहने को मानने लगा था, साथ ही वह बारहवीं पास थी, जबकि जुनैद ने हाई स्कूल ही किया था। वह जुनैद की हर बात मान लेती थी, पर वह इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं थी, कि जुनैद अपने अम्मा-अब्बू को बाजार से चीज लाकर देता रहे।
साल 2017 में ही तो जुनैद की शादी नदीमा नाम की सुंदर और मीडियम फैमिली लड़की से हुई थी। नदीमा के घर नदीमा का एक भाई, माता-पिता और वह खुद थी। वह इंटर पास थी, जबकि जुनैद ने केवल हाई स्कूल ही पास किया था। जुनैद को शादी की जल्दी नहीं थी, परंतु क्या करता घर वालों के कहने से फंस गया।
शादी से पहले की बात है। जुनैद के पिता बहुत सीधे-साधे और भले व्यक्ति थे। जुनैद की मांँ धार्मिक विचारों को मानने वाली बिना पढ़ी-लिखी महिला थी। जुनैद देखने में एक सुंदर आकर्षक व्यक्तित्व वाला 19 वर्ष का लड़का था। वह अपने चाचा परवेज खांँ के साथ मुंबई में रहता था और वही पढ़ रहा था। उसके चाचा परवेज हर तरह से उसका ख्याल रखते थे। परवेज खान फर्नीचर का कार्य करते थे, मगर वह अपने भतीजे जुनैद को अच्छी शिक्षा देकर और बुरी आदतों जो अक्सर जवानी में बच्चों के अंदर आ जाती हैं उनसे दूर रखने की सलाह देते रहते थे। वह रोज स्कूल से आने के बाद जिम जाता था, जिससे उसका शरीर और व्यक्तित्व हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करता था।
सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था। एक दिन ऐसा हुआ जिसकी जुनैद को कोई आशा नहीं थी। तालीम नाम का एक व्यक्ति जुनैद के अब्बू के पास आया और शादी को कहने लगा, कि आप जुनैद की शादी कर ले, ऐसा रिश्ता है, कि आपको दोबारा नहीं मिलेगा। जुनैद को तो तालीम ने देख ही रखा था। जिस गांँव से जुनैद के रिश्ते की बात चल रही थी, उस गांँव का नाम गड़ीबेशक था। जिस लड़की के लिए तालीम बता रहा था, वह वास्तव में बहुत समझदार सुंदर, अच्छी पढ़ी-लिखी और बहुत गरीब घर की थी। उसके माता-पिता के पास देने के लिए कुछ भी नहीं था, शिवा लड़की के। सौभाग्य की बात देखिए इस लड़की से ही दो-तीन साल पहले जुनैद की जान-पहचान हो गई थी और 2 साल से लेकर आपस में फोन से बातें भी करते रहे थे। लड़की के पिता के द्वारा कहने पर ही तालीम जो जुनैद की शादी के लिए उसके घर आया था, बहुत चालाक और शातिर किस्म का व्यक्ति था। वास्तव में उसने बात तो इसी लड़की की, की थी, जिसे जुनैद अपना दिल दिए बैठा था, इसी के जुनैद ने साथ मरने-जीने की कस्में खायीं थी और अपने मन की बात करता रहता था। वह उस लड़की से कह चुका था, कि शादी तो मैं तुझसे ही करूंँगा चाहे कुछ भी क्यों न हो जाए? वह बताती कि मेरा परिवार बहुत गरीब है। मेरे अम्मा-अब्बू कुछ नहीं दे पाएंँगे, शिवा मेरे। जुनैद ने साफ कह दिया, कि मुझे तुम्हारे शिवा कुछ नहीं चाहिए। वह रोज प्यार मोहब्बत की, दिल की बातें एक दूसरे से शेयर किया करते थे। लड़की ने यह भी बताया कि पापा ने तालीम अंकल को, मेरे कहने पर ही आपके यहांँ भेजा है। अतः आप शादी के लिए इनकार मत करना। जुनैद ने कहा-“नहीं करूंँगा।” जुनैद की एक सिस्टम भी थी। वह एक हादसे का शिकार हो चुकी थी, जिसके कारण वह घरेलू कार्य करने में भी असमर्थ थी। अम्मा से अच्छे प्रकार से घर का काम नहीं हो पता था, इसलिए जुनैद ने घर की स्थिति को देखते हुए शादी का मन बना लिया था। तालीम ने आकर जुनैद के पिता और उन चाचा जो घर पर ही रहते थे, से इस बारे में कहा, कि आप जुनैद की शादी कर ले बहुत अच्छा रिश्ता है। लड़की बी.ए. पास है, सुंदर है, सुशील है और आपके परिवार को बहुत अच्छे से चलाएगी साथ ही भविष्य में कोई शिकायत का मौका भी आपको और आपके परिवार को नहीं देगी। तालीम ने यह भी बताया कि वह बहुत गरीब घर की लड़की है, तुम्हें वहांँ से मिलेगा कुछ नहीं। इस उम्मीद में बिल्कुल मत रहना, कि वहांँ से कुछ मिलेगा। जुनैद के पिता जो एक बहुत ही सीधे-साधे व्यक्ति थे, उन्होंने साफ इनकार कर दिया, कि हमें दहेज की कोई जरूरत नहीं, बस लड़की आकर हमारे घर को संभाल ले, इससे ज्यादा हमें कुछ नहीं चाहिए। शादी संबंधी जानकारी जुनैद से भी ली गई। जैसा कि पता है, कि जुनैद चाह ही रहा था, कि मेरी शादी इसी लड़की से हो जाए। जुनैद के अब्बू और दादी जी के कहने पर अपने चाचा जो उसके साथ मुंबई रहते थे, घर आ गए और जुनैद से शादी के लिए पूछा कि लड़की बी.ए. पास है, अच्छी सुंदर और घर को चलने वाली है। क्या तू शादी करने के लिए राजी है, तुझे केवल हांँ ना में जवाब देना है। जुनैद ने सभी के कहने विशेष रूप से अपने चाचा के अनुरोध पर शादी के लिए हांँ कह दिया, क्योंकि वह सबसे ज्यादा अपने चाचा की ही बात मानता था।
कोई बात नहीं दोनों में आपस में रोज प्यार- मोहब्बत की बातें होती रही और साथ-साथ रहने की कस्में भी खाई गईं और घर चलाने, मांँग इत्यादि को लेकर भी कोई मतभेद नहीं था।
इसी बीच तालीम बिचौलिया जो बहुत ही चालक और शातिर प्रकृति का व्यक्ति था, लेकिन किसी को इस बात का कोई आभास नहीं था। वह जैसे ही उधर लड़की वाले की तरफ से बात को चला रहा था, तो उसी गांँव के किसी दूसरे व्यक्ति ने उससे कहा, “कि तुम मेरी लड़की की शादी उस घर में करवाओ, मैं आपको चालीस हजार रुपए और एक भैंस दूंँगा। यह सुनकर तालीम का सिर चकरा गया और लालचवश अपने लाभ के बारे में सोचने लगा। यह सोचकर उसके मन में लड्डू फूटने लगे, कि मुझे शादी तो करानी ही है, जहांँ से मुझे लाभ मिलेगा वहीं से करा दूंँगा। जिस व्यक्ति ने तालीम को लालच दिया था, उसका नाम ईमान था। अब वह ईमान की बेटी नदीमा की शादी की बात करने लगा। उसके एक भाई था, जिसकी शादी हो चुकी थी। नदीमा का पिता एक चालाक व्यक्ति था, बाप के साथ ही उसकी लड़की, बेटा भी बहुत चालक थे। बिचौलिया तालीम ने जुनैद के पिता को इस बारे में कुछ भी नहीं बताया, कि अब दूसरी लड़की से शादी की बात चल रही है। परिवार वालों से पूछ कर दिन कब रखा जाए, वह इसके लिए उनके पास आया।
जुनैद और उसके चाचा परवेज को बुलाया गया और साथ में माता-पिता और दादाजी भी आंँगन में बैठे और लगभग एक महीने बाद शादी का दिन रखा गया। जुनैद को भी इस बात की बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी, कि यह तालीम अब इस गांँव के किसी दूसरी जगह से किसी अन्य लड़की से शादी की बात चला रहा है।
समय गुजरता गया अब शादी के केवल बीस दिन शेष थे। रात को जुनैद की बात जैसे ही लड़की से होती है, तो वह बातों ही बातों में कहता है, कि अब तो हम जल्दी ही मिलने वाले हैं, हमारी शादी के बीस दिन शेष रह गए हैं। ये दिन भी बहुत जल्दी कट जाएंँगे। मैं और पूरा परिवार इसकी तैयारी में लगे हुए हैं। यह बात सुनकर लड़की के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई, कि ऐसा तो कुछ नहीं है। तालीम अंँकल ने तो हमारे यहांँ ऐसा कुछ नहीं बताया, वह तो अभी साल 6 महीना बाद शादी के लिए कह रहे थे। लड़की कहने लगी हमारे यहांँ से तो अभी केवल बात चली थी, पर इतनी जल्दी शादी का विचार कुछ भी ऐसा नहीं है। कहीं हमारे साथ धोखा तो नहीं हो रहा है, वह सोचने लगी और शोक में पड़ गई। जुनैद को भी इस बारे में कुछ शक हुआ, कि उसकी शादी की बात किसी दूसरी लड़की से चल रही है। उसने यह बात अपने चाचा जो एक-दो दिन में जुनैद को घर लेकर आने वाले थे, उन्हें बताई। उन्होंने जुनैद के पिता से बात की और वह भी यह जानकर आश्चर्य में पड़ गए और उन्होंने अपने छोटे भाई और बेटे को घर आने के लिए कहा। उधर तालीम को भी बुलाया गया, जुनैद के पिता ने तालीम से पूछा कि तुम सच-सच बताओ कि तुम किसी दूसरी लड़की से शादी की बात चला रहे हो, हम इज्जतदार आदमी हैं, यदि यह बात सच है, तो तुमने ऐसा क्यों किया शादी के लिए झूठ क्यों बोला, तुम्हें इतना भी नहीं मालूम कि इससे दो परिवारों के बीच और लड़के- लड़की के जीवन पर क्या असर पड़ेगा। उसने पहले वाली लड़की में काफी कमी बताई, कि वह तुम्हारे लायक नहीं है, कुछ नहीं मिलेगा अगैराह- वगैराह। इस बात को सुनकर जुनैद रूठ गया। उसने साफ इनकार कर दिया ,कि मैं शादी नहीं करूंँगा चाहे कुछ भी हो जाए। तालीम की यह बात परिवार के सभी लोगो को बहुत बुरी लगी। लड़की पक्ष और लड़के पक्ष वाले उसके बारे में क्या सोचेंगे इसकी चिंता ना करके वह लड़के के घर वालों की तरफ से ना न हो जाए इस बात से थोड़ा चिंतित था। उधर शादी की सब तैयारी पूरी हो चुकी थी। कैसे इनकार किया जाए, यह सब सोचने का विषय था। तालीम के लिए भी बुरा भला कहा गया पर उसने कुछ नहीं कहा, बस इतना कहा कि जहांँ से अब शादी हो रही है, वह परिवार काफी अमीर है, दहेज काफी मिलेगा साथ में बुलेट गाड़ी भी। पहले वाला परिवार आपके लायक नहीं था। जुनैद फिर भी नहीं माना उसने कहा, कि मैं शादी यहांँ से नहीं करूंँगा चाहे मुझे सब कुछ क्यों न मिले, मैं वहीं से शादी करूंँगा, जहांँ से पहले बात चल रही थी।
परिवार के सभी सदस्यों ने जुनैद को बहुत समझाया, कि घर की इज्जत खाक में मिल जाएगी। उसके दादा, पिता सभी ने कहा, कि तुम्हें शादी तो करनी ही है, अगर ऐसा करोगे तो बहुत बुरा हो जाएगा। हमारे खानदान का नाम मिट्टी में मिल जाएगा और हमारी बदनामी भी हो जाएगी। स्थिति को समझकर जुनैद के चाचा ने भी जुनैद को बहुत समझाया कि घर की इज्जत अब तुम्हारे हाथ में है। जब जुनैद नहीं माना तो उसके दादाजी ने सिर की पगड़ी जुनैद के चरणों में रख दी और जुनैद के आगे हाथ जोड़ने लगे, कि हमारे परिवार की बदनामी हो जाएगी बेटा तेरे ही हाथ है, इज्जत बचाना। शादी के मात्र 10 दिन ही शेष रह गए थे, जब परिवार के सारे सदस्यों ने जुनैद पर इसके लिए दबाव बनाया, दादाजी की पगड़ी को अपने चरणों में रखा देखकर, वह शादी के लिए मान गया, लेकिन मन ही मन उसने सोच रखा था, कि वह आने वाली लड़की से बात भी नहीं करेगा।
उधर जिस लड़की से वह पहले बात करता था वह गरीब घर की जरूरत थी, लेकिन बहुत सज्जन और समझदार लड़की थी। वह अब यह बात सुनकर बहुत विचलित और बेचैन हो गई, कि जुनैद की शादी मुझसे नहीं बल्कि हमारे ही गांँव की किसी दूसरी लड़की से हो रही है। जुनैद ने उस लड़की को परिवार की इज्जत से संबंधित सारी बात बताई और माफी मांँगकर कहा इन सब बातों का जिम्मेदार बिचौलिया है, जिसने हमारे साथ बहुत बड़ा धोखा किया है। जुनैद ने आगे कहा, कि मुझे इस बात का बहुत अफसोस है, कि आप मेरे सपनों की रानी नहीं बनोगी, जो मैंने सपने आपके साथ सजाए थे, वह सब टूट चुके हैं, मैं बहुत मजबूरी में ऐसा कर पा रहा हूंँ, मेरे साथ आगे कुआंँ, पीछे खाई जैसी स्थिति है। आप हो सके तो मुझे माफ कर देना।
खैर एक-एक दिन गुजरता गया। लड़की, जिससे वह प्यार करता था, उसने बात करनी भी बंद कर दी और उससे कहा, कि तुम खुश रहो, मुझे धोखा देकर तुमने ठीक नहीं किया है। दोनों तरफ से आंँखों में आंँसू लेकर दोनों हमेशा-हमेशा के लिए अलग हो गए और दोनों का प्यार जीवन साथी बनने से रह गया।
अब जुनैद की शादी का मात्र एक दिन रह गया था। एक दिन पहले ही जुनैद के मन में आया, कि वह घर छोड़कर कहीं अलग चला जाएगा पर इस लड़की से शादी नहीं करेगा लेकिन परिवार की इज्जत की बात को सोचकर उसने ऐसा नहीं किया।
शादी का दिन भी आ गया। और नदीम के साथ जुनैद का धूमधाम से निकाह
हो गया। नदीमा अपनी ससुराल आ गई, पर जुनैद और नदीमा की कोई भी आपस में बात नहीं हुई। वह पूरी रात उससे अलग रहा, ना कोई बात ना किसी प्रकार का शारीरिक संबंध। कुछ दिन बाद नदीमा अपने मायके गई। उसने यह बात अपने घर वालों को बताई। नदीमा के मायके वालों ने जुनैद के घर वालों से इस बारे में बात की और जुनैद को बहुत समझाया मगर वह मानने को तैयार ही नहीं था। उसका दिल तो किसी और लड़की पर था। दस-पन्द्रह दिन बाद नदीमा अपने मायके से ससुराल वापस आई, लेकिन जुनैद फिर भी उसके संपर्क में नहीं आया और ना ही किसी तरह की बात की। नदीमा को भी इस बात की चिंता होने लगी, कि वह मुझसे बात क्यों नहीं करते? इसका क्या कारण है? वह कई बार जुनैद से पूछ चुकी थी, क्या मैं आपके पसंद नहीं हूंँ? जो आप मुझसे बोलते नहीं! जुनैद इन सब बातों का जवाब नहीं देना चाहता था। वह शांत रहा और कुछ नहीं बोला। नदीमा ने भी फोन आदि के माध्यम से घर वालों को फिर से यह बात बताई, कि वह अभी तक मुझसे बात नहीं कर रहे हैं। एक महीने के बाद, वह फिर अपने मायके गई और इस बार उसके भाई ने कहा, कि जब तक जुनैद इसे लेने के लिए ही नहीं आएगा, तब तक हम इसे इसकी ससुराल नहीं भेजेंगे।
जुनैद के सारे परिवार वालों को पता चल चुका था, कि जुनैद नदीमा से बात नहीं कर रहा और ना ही शारीरिक रिलेशन हुआ है। इस बात से चिंतित होकर सभी घर वालों ने जुनैद को बैठाकर बहुत प्यार से समझाया, कि तुम नदीमा से क्यों नहीं बात कर रहे हो। काफी समय तक समझाने के बाद वह मान गया और वह मायके से नदीमा को घर ले आया और उससे बात करने लगा, आपस में रिलेशनशिप किया और धीरे-धीरे वह नदीमा को प्यार भी करने लगा। धीरे-धीरे सब कुछ नॉर्मल हो चुका था। समय गुजरा, जुनैद नदीमा को मनचाही सब्जी फल और उससे संबंधित दैनिक सामान लाकर देने लगा। दिन गुजरते गए दोनों का प्यार धीरे-धीरे बढ़ता गया। अब ऐसा हुआ, कि जब भी जुनैद नदीमा के लिए कुछ लाता था तभी वह अपने अम्मा- अब्बू के लिए भी कुछ लाया करता था। पहले तो नदीमा ने कुछ नहीं कहा, लेकिन बाद में वह जुनैद को इसके लिए मना करने लगी, कि वह अपने माता-पिता के लिए समान क्यों लाता है? जुनैद ने साफ-साफ कह दिया, कि मेरा उनसे बहुत गहरा संबंध है। जब तू भी इस घर में नहीं आई थी, तब से। यह सुनकर नदीमा नाराज हो गई, लेकिन जुनैद उसे प्यार से मना लेता है और फिर दोनों नॉर्मल रहने लगते हैं। उधर नदीमा कुछ दिनों के बाद प्रेग्नेंट हो जाती है। जुनैद उसका और ज्यादा ख्याल रखने लगता है। उसे अच्छे-अच्छे फल ड्राई फ्रूट्स आदि लाकर देता है, ताकि उसका बच्चा भी तंदुरुस्त हो और साथ ही नदीमा पर भी कोई प्रभाव न पड़े। वह पिछली सब बातों को भूल गया था। वह जब भी बाहर जाता नदीमा को भी अपने साथ लेकर जाता उसे बाजार मेला आदि दर्शनीय स्थान पर घूमाने हेतु ले जाता। जब भी नदीमा को किसी चीज की जरूरत पड़ती, वह जुनैद से कहती और जिन्हें वह तुरंत लाकर दे देता था। अब उसके बच्चा होने वाले दिन चल रहे थे। जुनैद अधिकतर काम या तो खुद करता था या फिर अपने माता-पिता से करवाता था।क्योंकि उसे तो पता था, कि घर पर और कोई काम करने वाला है ही नहीं। सिस्टर पहले ही गुजर चुकी थी, वह बहुत अच्छी प्रकार से नदीमा की देखभाल कर रहा था और वह समय भी आ गया जिसका कई महीनों से इंतजार था। नदीमा ने एक पुत्र को जन्म दिया। वह बहुत सुंदर बिल्कुल नाक-नक्शे में अपने पापा को ही गया था। सभी उस प्यारे छोटे बच्चे को बहुत प्यार करते थे। जुनैद ने पैदा होने पर बहुत खुशी की और एक छोटी पार्टी भी अपने दोस्तों और परिवार वालों को इस खुशी में दी। बच्चा धीरे-धीरे बड़ा होने लगा। नदीमा को यह बात पसंद नहीं थी, कि जुनैद मेरे अलावा अपने अम्मा- अब्बू की तरफ भी ध्यान देता रहे। वह यह कभी नहीं चाहती थी। उसे यह बहुत बुरा लगता था, कि जुनैद अपने अम्मा-अब्बू को कोई चीज लाकर दे। इस बारे में जुनैद ने कई बार अपनी पत्नी नदीमा को समझाया, कि वह मेरे अम्मा अब्बू हैं कोई और नहीं। लेकिन नदीमा जुनैद की एक नहीं सुनती थी। वह यह कभी नहीं चाहती थी, कि वह उन्हें सामान लाकर दे। वह चाहती थी, कि जुनैद का सारा समय मेरे साथ ही व्यतीत हो। जुनैद उसे बार-बार समझाता और पहले से ज्यादा प्यार भी करने लगा था, क्योंकि अब उसके एक बच्चा भी हो चुका था। वह ज्यादातर अपने बच्चे को ही घूमने-घूमाने में समय व्यतीत करता रहता था।
कभी-कभी ऐसा भी हो जाता था, कि जुनैद के चाचा के बच्चे भी उनके घर पर खेलने के लिए आ जाते थे। यह बात भी नदीमा को बहुत बुरी लगती थी। जुनैद इस बारे में भी बड़े प्यार से उससे कहता था, कि यह हमारे पास नहीं खेलेंगे तो कहांँ खेलने जाएंँगे। माता-पिता पहले से ही घर में अलग कमरे में रह रहे थे। अब इन्हें देखकर ऐसा व्यवहार क्यों करती हो।
एक बार नदीमा की रिश्तेदारी में उसकी मौसी की लड़की की शादी थी। नदीमा जुनैद के साथ बाजार जाती है और जुनैद उसे मनचाहे कपड़े खरीदकर देता है और घर आ जाता है। कल को शादी थी और आज जाना था। लेकिन जुनैद को बहुत जरूरी काम लग गया। इसलिए वह बोला कि, मैंने तेरे भाई को कॉल कर दी है, वह तुझे आकर ले जाएगा और मैं कल आ जाऊंँगा। नदीमा ने इनकार कर दिया कि मैं तो तुम्हारे साथ ही जाऊंँगी। जुनैद के बार-बार समझाने पर, वह राजी हो गई और जुनैद दूसरे दिन को वहांँ पहुंँचा, तो नदीमा की वहांँ आयी मांँ ने जुनैद से वही बातें रखी, कि वह अपने अम्मा- अब्बू से अलग रहे। जुनैद को यह बात बहुत बुरी लगी, क्योंकि उसने सोचा जरूर यह बात नदीमा ने ही मांँ को बताई होगी। जुनैद ने नदीमा से इस बारे में बात की, तो नदीमा ने कहा मांँ सही तो कह रही हैं। अब मैं घर को तब ही जाऊंँगी जब तुम अपने माता-पिता के कहे में न चलोगे। नदीमा अपनी मांँ के साथ अपने मायके चली गई और जुनैद नाराज होकर वापस घर आ गया। उसने कई बार उसे लाने के लिए फोन से बात की मगर वह इस बात पर डटी रही। अब जुनैद ने भी तय कर लिया कि मैं तुम्हें नहीं लाऊंँगा चाहे कुछ भी क्यों ना हो जाए।
एक साल से ज्यादा गुजर गया। मगर जुनैद अपनी पत्नी नदीमा को मायके से लाने नहीं गया। एक दिन उसकी ससुराल से फोन आया, कि नदीमा को आकर यहांँ से ले जाओ। फोन जुनैद के साले की पत्नी ने किया था। वह बहुत समझदार औरत थी। वह चाहती थी, कि ननद का कभी भी परिवार न टूटे। जुनैद ने नदीमा को इस शर्त पर लाने के लिए कहा, कि वह पहले की ही तरह अपने अम्मा-अब्बू के साथ रहेगा। इस बात से नदीमा और उसका साला चिढ़ जाते हैं और उसका साला जुनैद को बहुत बुरा भला कहता था। जुनैद का साला उसे चेतावनी देता है, कि अगर उसने ऐसा नहीं किया, और नदीमा की बात नहीं मानी, तो वह उसके खिलाफ दहेज एक्ट में एफआईआर करेगा।
कुछ दिन बाद जुनैद का साला और उसके ससुराल वाले ने जुनैद के खिलाफ दहेज प्रथा का केस कर दिया। इसी कारण जुनैद आज भी जेल में है। उसकी एक बार जमानत हो चुकी थी और वह घर पहुंँच गया था, मगर पत्नी बच्चों को लेकर दिमाग में टेंशन होने के कारण वह और भी अपराध करता गया और पुनः जेल में आ गया था, जो पिछले डेढ़ माह से हमारे साथ जेल में था। यह कहानी उसी जुनैद ने मुझे बताई थी, जो मैंने आपके सम्मुख प्रस्तुत की है।