‘नायाब’ कार्रवाई से मिटेगी संगीत की गंदगी
सुर्खियों में रहने वाला हरियाणा इस बार अलग तरह से चर्चा में है। बाते चाहे किसी भी तरह के आंदोलन की हो या राजनीतिक उठापटक की। हरियाणा का अपना अलग स्वैग है। जो और करे, वो हम न करे। जो और न करे, वो सबसे पहले हम करे। सप्ताह दो सप्ताह में यदि चर्चा का विषय न बने तो हरियाणा और हरियाणवीं होने का क्या फायदा? इस बार यू ट्यूब पर बिखरी पड़ी संगीत की गंदगी की सफाई की शुरुआत हरियाणा ने की है। गन कल्चर से जुड़े कुछ गानों को डिलीट करने से मामला संगीत उद्योग में गर्माया जरूर है पर निष्पक्षता बरती गई तो इसमें भी हरियाणा एक नया उदाहरण बनेगा।
हरियाणा अपने आप में विशेष है। काम कोई भी हो, उसे सबसे पहले करने का काम यह करता है। वैट सबसे पहले यहां लागू हुआ, बेटी बचाओ अभियान सबसे पहले यहां शुरू हुआ। केंद्र की प्रत्येक योजना को लागू करने में तो हरियाणा सरकार अग्रणी की भूमिका में रहती ही है। चाहे बात अन्तोदय की हो या फिर आयुष्मान भारत की हो। या शिक्षा में त्रिभाषा फार्मूला लागू करना हो। झंडा उठाने में सबसे पहले हरियाणा है। ओलम्पिक मेडल में हरियाणा बिना कुछ नहीं, राजनीति में पकड़ सबसे ज्यादा, जिंदाबाद-मुर्दाबाद तो चाहे रात के 12 बजे करवा लो। सिर पर मंडासा मारकर तैयार मिलेंगे। फिल्मों, नाटकों में हरियाणवीं कलाकार या प्रसंगों की भरमार है। गीत-संगीत के तो क्या कहने। पंजाब, दिल्ली, यूपी, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश,गुजरात से लेकर समूचे भारत वर्ष के साथ विदेशों में भी डीजे पर इनकी ही धमक है। हट ज्या ताऊ पाछे नै.. से एक नए कलेवर में आया हरियाणा संगीत आज गजबन, बावन गज का दामन, सॉलिड बॉडी, बालम थानेदार, नंगड़ से होता हुआ निक्कर आली, इगो किलर, डेथ रो, दारू का स्टाल, दारू बदनाम, लाश नहर में, रोला,गोली हेड में, खलनायक, टेडी बीयर का शौक नहीं, गिफ्ट में गन दे दे, बता किसकी फिल्डिंग लानी है, तेरा यार जमानत पर आया, एके 47 धरे संदूकां पे, सूटर ते बन गया तेरा यार माफिया, तन्न गिफ्ट में दूंगा 12 बोर की, तू क्यूकर बनगा दो नंबरी, तन्न ढूंढे पुलिस आले, एक खटोला जेल के भीतर, ट्यूशन बदमाशी, किसने सिखाई बदमाशी करनी, पीलिये में मामा पिस्तौल दे गया था, मैं जिस दिन जमानत पर बाहर आऊंगा, पिस्तौल से महंगा तेरा लहंगा लाऊंगा आदि तक पहुंच चुका है।
‘देसा म्ह देस हरियाणा, जित दूध दही का खाणा’ से विश्वभर में सम्मान प्राप्त हरियाणा में इस तरह के संगीत पिछले 10 से 15 वर्ष में ज्यादा बना है। पड़ोसी राज्य पंजाब में तो शुरू से ही गन कल्चर का चलन रहा है। मित्रां नूं शौक हथियारां दा..खूब चला था। सिद्धू मूसेवाला के कई गीत भी काफी चर्चा में रहे। पड़ोसी गायकों की संगति ने हरियाणा में भी असर दिखाया। हरियाणवी गायक और गीतकार भी इसी ट्रेंड पर एक बार ऐसा चलना शुरू हुए कि अब रुकने का ही नहीं नाम ले रहे। बात गानों तक ही सीमित रहे तो भी ठीक, पर यहां तो गानों के माध्यम से एक दूसरे को जवाब देने का नया ट्रेड ऐसा चला है कि शब्दों की मर्यादा और गरिमा खूंटी टांग दी गई है। थोड़ा सा ध्यान करें तो दर्जनों ऐसे हरियाणी गाने बनाए गए हैं, जिनमें हथियारों और बदमाशों को महिमामंडित किया गया है। प्रदेश का युवा वर्ग भी इन गानों को खूब पसंद कर रहा है। शादी हो या जलवा पूजन या कोई और समारोह इन गानों के बिना महफिल सजती ही नहीं है।
दो महीने पहले मुख्यमंत्री नायब सैनी ने बैठक ली थी, जिसमें यह बात सामने आई कि हरियाणा में इस तरह के गाने लगातार बढ़ रहे हैं, जो गन कल्चर और गुंडागर्दी को को बढ़ावा देने वाले हैं। इससे युवा गन कल्चर की ओर आकर्षित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री से मिले फ्री हैंड के बाद पुलिस ने इस तरह के गानों को सोशल साइट्स पर अपलोड करने वालों के खिलाफ सख्ती वढ़ा दी। खासकार पुलिस ने उन गानों पर विशेष नजर बनाई है। 10 गाने सोशल साइट्स से डिलीट करवाये जा चुके है। देर से ही सही। लोक संस्कृति के नाम पर बदमाशी और गन कल्चर को बढ़ावा देने वाले गानों पर हरियाणा की नायाब सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दिया है। कुछ बड़े और चर्चित गानों को यू ट्यूब से डिलीट होने से गायक कलाकारों ने विरोध भी जताया है। उनका मानना है कि जानबूझकर कुछ गानों को निशाना बनाया गया है। इस पर सोशल मीडिया पर अलग ही रार चली हुईं है। जिस गायक के गाने ज्यादा डिलीट हुए है, उसका दर्द भी नई कहानी कह रहा है। उसके अनुसार उसे ही जानबूझकर निशाना बनाया गया है, जो गलत है। गंदगी साफ ही करनी है तो जड़ से साफ करें, न कि फॉर्मेलिटी से। सरकार को इस पर विचार अवश्य करना चाहिए। नैषधीयचरितम् की एक प्रसिद्ध उक्ति है – आर्जवं हि कुटिलेषु न नीतिः अर्थात् कुटिल जनों के प्रति सरलता नीति नहीं होती। तो मुख्यमंत्री जी दिखाएं नायाब सख्ती।
लेखक;
सुशील कुमार ‘नवीन‘, हिसार
96717 26237
लेखक वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार है। दो बार अकादमी सम्मान से भी सम्मानित हैं।