डिग्री ही संस्कार है उससे अनपढ़ रहोगे

डिग्री ही संस्कार है उससे अनपढ़ रहोगे
तो संस्कार होंगे तो भी आपको एक्सेप्ट नहीं किया जाएगा।
संस्कार के लिए डिग्री नहीं परिवेश और परवरिश लगती है।
आज कल का तो परिवेश ही तत्वों के परे है
परवरिश भी तत्वों के परी हो होगी।
क्या करते हो और कितना कमाते हो यही वास्तविक संस्कार है आज के आधुनिक समाज का
अगर संस्कार देख रहे होते तो घर में रिश्ते प्रेम अपनापन सब होता
तलक बंटवारे अपमान अनादर कुछ नहीं होता ।
सबके घर में घर होता ,घर के भीतर अपने अपने मकान नहीं होते।
सब डिग्री धारी परिवार, पुत्र कमाऊ ओर पुत्रियां इंडिपेंडेंट हो गई है पढ़ लिख कर,डिग्री वाले संस्कार है,पारिवारिक व्यवहारिक तत्व गुण और परिवेश नहीं है।
तभी तो आज कल घर तोड़ने divorce में मा बाप,एलुमनाई में मां बाप बेटियों के साथ है और,beto के शारीरिक प्रताड़ित व्यवहारों में साथ है।
पर उनके गुण तत्व और परिवेश नहीं सिखा रहे,ताकि जैसे अपने परिवार को सहेज वैसे दूसरे परिवार को भी सहेजे लड़का लड़की सम्मान ,सामंजयस ओर विश्वास के साथ।