/•• ख़ुबसूरत ज़हर ••/

/•• ख़ुबसूरत ज़हर ••/
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मासूम परिंदों को पिंजड़ों में पाला जा रहा है
कागज़ी फूलों से ख़ूश्बू निकाला जा रहा है
आधुनिकता के दौड़ में पागल हुआ है,आदमी
खुशियों को बटोरकर पैसों में डाला जा रहा है
ज़हरीले सांपों को बस्ती में पाला जा रहा है
विषधरों के फन से अमृत निकाला जा रहा है
सम्हलिए जनाब,डस रहे हैं,रोज़ अपनों को
इल्ज़ाम, औरों के पाले में डाला जा रहा है
क़लम के नोंक को चाकू में ढ़ाला जा रहा है
अफसरों के मायने डाकू निकाला जा रहा है
फरियाद लेकर अपनी अब कहां जाए कोई
शिकारियों के द्वारा थाना सम्हाला जा रहा है
ज़मीन ओ आसमां को खंगाला जा रहा है
चांद को उसके घर से निकाला जा रहा है
घर के आंगन में,खुशियां दम तोड़ देंगी”चुन्नू”
मासूमों के ज़ेहन में बारूद डाला जा रहा है
/••• क़लमकार •••/
चुन्नू लाल गुप्ता-मऊ (उ.प्र.)✍️