*यह धन्य-धन्य है देश जहॉं, हर रोज कथाऍं होती हैं (राधेश्यामी

यह धन्य-धन्य है देश जहॉं, हर रोज कथाऍं होती हैं (राधेश्यामी छंद)
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1)
यह धन्य-धन्य है देश जहॉं, हर रोज कथाऍं होती हैं।
हर मानव के भीतर सद्गुण, सद्वृत्ति भावना बोती हैं।।
2)
नित भवन और पंडालों में, चारों वेदों को गाते हैं।
हम सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ, भारत का ज्ञान सुनाते हैं।।
3)
यह ग्रंथ वेद के अनुपम जो, मानव होना सिखलाते हैं।
यह ग्रंथ सहस्त्रों प्रष्ठों के, गुरु सार-रूप में लाते हैं।।
4)
तन्मय होकर पंडालों में, उपनिषद-ज्ञान को सुनते हैं।
कुछ फूल समझ लो उपवन में, प्रवचन सुनकर हम चुनते हैं।।
5)
यह कथा ज्ञान के यज्ञ मधुर, श्री राम चरित को गाते हैं।
सत्ता से बढ़कर तप-संयम, आदर्श हमें सिखलाते हैं।।
6)
यह धन्य कथावाचक हैं जो, भारत की भक्ति सिखाते हैं।
यह देश भगीरथ का प्रसंग, हर्षित होकर बतलाते हैं।।
7)
यह धन्य कथाऍं जिन्होंने, भारत का वंदन गाया है।
यह धन्य कथाऍं ऋषियों का, पावन तप जहॉं समाया है।।
8)
यह धन्य कथाऍं ऋषभदेव, ध्रुव की गाथाऍं गाती हैं।
यह हमें भागवत से परिचित, सुनने-भर से कर जाती हैं।।
9)
इन पावन चरित कथाओं में, गीता का दर्शन बोल रहा।
यह गूढ़ अर्थ इस धरती पर, वृंदावन वाला खोल रहा।।
10)
आओ यह कथा धरें सिर पर, इनके प्रष्ठों पर चंदन है।
इन अमृतमयी कथाओं का, शत-शत वंदन अभिनंदन है।।
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451