कटु सत्य

आम जनता मूक बनी मौलिक अधिकारों का
हनन् सहन कर रही है ,
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने पर
चुप्पी साध बैठ गई है ,
विरोध के स्वर कहीं- कहीं दबी ज़ुबान में उभरते हैं ,
परन्तु मुखर हो कुछ कहने से डरते हैं ,
कहीं कुछ कहने से शासन तंत्र उनके
पीछे न पड़ जाए ,
उनके ऊपर राजद्रोह का मुकदमा थोपकर
उन्हें जेल में न डाल दिया जाए ,
न्याय की उम्मीद करना व्यर्थ है ,
क्यूँकि पुलिस , प्रशासन यहाँ तक कि
न्यायधीश भी भ्रष्ट हैं ,
यहाँ सच्चे का मुँह काला है ,
झूठे के पैसे का बोलबाला है ,
ज्यादा सच्चाई उजागर करोगे तो
षडयंत्र में फंसाकर बर्बाद कर दिए जाओगे ,
यहाँ तक कि झूठ को छुपाने के लिए
मार दिए जाओगे ,
फिर कोई नेता तुम्हारी मृत्यु पर
घड़़ियाली आँसू बहाएगा ,
तुम्हारी तस्वीर पर फूल चढ़ाकर
शोक व्यक्त करेगा ,
तुम्हारी याद में स्मारक बनाने की
घोषणा करेगा ,
तुम्हारी सत्य प्रतिबद्धता एवं कर्मनिष्ठा का
गुणगान करेगा ,
कुछ दिन तुम्हारा नाम समाचार की
सुर्ख़ियों में रहेगा ,
फिर तुम्हे भूलाकर तुम्हारा नाम अतीत में
दफ़्न कर दिया जाएगा।