ख़बरदार !

इतिहास में द्फ़्न मुर्दों को उखाड़कर
तुम्हे क्या मिलेगा ?
न कोई मन्दिर , न कोई शिवालय,
न कोई आश्रम ही मिलेगा ,
तुम्हे न तो धर्म क्या है ? ये पता है ,
न इतिहास ही का पता है ,
बस एक दूसरे को लड़़वाकर ,
अपना उल्लू सीधा करना पता है ,
अंधों की जमात के तुम काने राजा हो ,
गधों के मुखिया , जहर उगलते नाग हो ,
अपने को नेता समझते हो
पहले अपनी
औकात को समझो ,
जिस दिन ,
अपनी पर आ जाए जनता
उस दिन ,
तुम्हारी लुटिया डूबी समझो ,
गली -गली में दौड़ा-दौड़ाकर
मारे जाओगे ,
अभी वक्त रहते होश मे आ जाओ
वरना बेमौत मारे जाओगे।