होती नहीं अराधना, सोए सोए यार।
संविधान के शिल्पी - डॉ अम्बेडकर
नई पीढ़ी
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
इंसानों की इस भीड़ में ही एक इंसान हूँ।
आते जाते रोज़, ख़ूँ-रेज़ी हादसे ही हादसे
*समस्या एक जीवन में, नई हर रोज आती है (हिंदी गजल)*
कहमुकरियाँ हिन्दी महीनों पर...
भूख
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
जिंदगी की कहानी लिखने में
तुम्हें सोचना है जो सोचो
Kunwar kunwar sarvendra vikram singh
तुम्हीं से आरम्भ तो तुम्हीं पे है खत्म होती मेरी कहानी
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त
'उड़ाओ नींद के बादल खिलाओ प्यार के गुलशन
तेरी आंखों की बेदर्दी यूं मंजूर नहीं..!