कहना नहीं कल को यह हमसे

(शेर)- सच मैं ऐसा नहीं था, मगर क्यों हुआ मैं ऐसा।
आखिर गलती कहाँ हुई, किससे हुई, किसने किया कैसा।।
आज भी मैं वैसा ही हूँ , मगर मिटाना था मुझे शक यह।
आखिर मैं भी इंसान हूँ , मैं नहीं आदमी जानवर जैसा।।
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कहना नहीं कल को यह हमसे, देखकर मेरी यह आदत।
आप तो ऐसे तो नहीं थे, आपको हमसे थी मोहब्बत।।
कहना नहीं कल को यह हमसे———————-।।
उसको यह शौक नहीं था, लेकिन यह शौक मुझको था।
आखिर तुमको क्यों ऐसे, कोई शक मुझपे था।।
हुआ मजबूर मैं आखिर, बदली मैंने अपनी सोहबत।
कर ली यारी अब रम से, छोड़कर वह अपनी आदत।।
कहना नहीं कल को यह हमसे———————।।
कहता नहीं ऐसा मैं तुमसे, मिलेगा तुम्हें नहीं अच्छा मुझसे।
दौलत और महलों के शौकीन, बहुत करेंगे मौज यहाँ तुमसे।।
उनकी नहीं कोई कमजोरी, उनकी नहीं कोई मजबूरी।
कर दे अगर बदनाम तुम्हें तो, नहीं माँगना तू मेरा साथ।।
कहना नहीं कल को यह हमसे———————–।।
मुझको तो समझा है तुमने, तेरे लिए मजबूर आखिर।
तेरे बिना मैं रह नहीं सकता, एक पल भी आखिर।।
ऐसा भी सोचती है तू , तुमसा हसीन और कोई नहीं।
मैं मगर रोज करता हूँ , कई हुर्रों से यहाँ मुलाकात।।
कहना नहीं कल को यह हमसे——————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)