वो आए ना आए हम बुलाते रहेंगे

वो आए ना आए हम बुलाते रहेंगे
नगमे वफ़ा के यूं ही गुनगुनाते रहेंगे
माना है हिज्र की आबो हवा
पर दर्द दिल के हम सुनाते रहेंगे
थक जाओगे जब सुनसान राहों में
जख्मों को तेरे हम सहलाते रहेंगे
है दूर बहुत मोहब्बत की मंजिल
प्यार को तेरे सुलगाते रहेंगे
हो जाओगे आखिर इक दिन हमारे
गले से तुमको फिर लगाते रहेंगे