आकांक्षा : उड़ान आसमान की....!
खुद को मैंने कम उसे ज्यादा लिखा। जीस्त का हिस्सा उसे आधा लिखा। इश्क में उसके कृष्णा बन गया। प्यार में अपने उसे राधा लिखा
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
*Max Towers in Sector 16B, Noida: A Premier Business Hub 9899920149*
वक़्त के साथ खंडहर में "इमारतें" तब्दील हो सकती हैं, "इबारतें
रास्ता दो तो हम भी चार कदम आगे बढ़ें...
मौत पर तो यक़ीन है लेकिन ।
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
शीर्षक -नेकी की राह पर तू चल!
तुम मुझे सुनाओ अपनी कहानी
❤बिना मतलब के जो बात करते है
हम भी वो है जो किसी के कहने पर नही चलते है जहां चलते है वही
समीक्ष्य कृति: बोल जमूरे! बोल
धुप मे चलने और जलने का मज़ाक की कुछ अलग है क्योंकि छाव देखते
वेदना ऐसी मिल गई कि मन प्रदेश में हाहाकार मच गया,
प्रेमी चील सरीखे होते हैं ;
*चले गए पूर्वज जो जग से, कैसे उनको पाऍं (गीत)*