गीतिका

गीतिका
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मिट जाती हैं दूरियां, आ जाते जब पास।
और पनप जाता सहज, आपस में विश्वास।
दृश्य निखर उठते सभी, मिट जाती है धुंध।
फूल खिला करते सदा, जब आता मधुमास।
प्रकृति के सौंदर्य में, आता खूब निखार।
मन को अपनी प्रीति का, हो जाता आभास।
लगता है सच हो रहा, सपनों का संसार।
अनुभव होता जब हमें, हर्ष और उल्लास।
जीवन में तब हर समय, भर जाता आनंद।
प्रेम पथिक के जब कभी, होते सफल प्रयास।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य