हम रस्ता देखा करते थे वो रस्ते में रास्ता छोड़ गए

हम रस्ता देखा करते थे वो रस्ते में रास्ता छोड़ गए
जो अंदर घुस के बैठे थे अंदर तक हमको तोड़ गए
मेरे आंगन को ,गलियों को ,रोशन करते फिरते थे
मुझे अकेला छोड़ गए ,मेरे सपनों को भी तोड़ गए
✍️कवि दीपक सरल