भीगा तन

नेह भरे नैनन मिले,
सजनी के उर नेह,
बादल छाया प्रीत का,
बरसन लागा मेह।।१.
भीगे तन में फुरहरी,
करता है फरियाद।
आंखों से बातें हुई,
मौन वाद प्रतिवाद।।२.
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कवि -गजानंद डिगोनिया ‘जिज्ञासु’
नेह भरे नैनन मिले,
सजनी के उर नेह,
बादल छाया प्रीत का,
बरसन लागा मेह।।१.
भीगे तन में फुरहरी,
करता है फरियाद।
आंखों से बातें हुई,
मौन वाद प्रतिवाद।।२.
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कवि -गजानंद डिगोनिया ‘जिज्ञासु’