क्यों ना इतराए फूल अपनी मिठास पर

क्यों ना इतराए फूल अपनी मिठास पर
तितलियां फूलों पर आकर ठहर जाती है
बड़ा सूना करती है वो घर के आंगन को
लड़कियां पढ़ने को जब शहर जाती है ।
कवि दीपक सरल
क्यों ना इतराए फूल अपनी मिठास पर
तितलियां फूलों पर आकर ठहर जाती है
बड़ा सूना करती है वो घर के आंगन को
लड़कियां पढ़ने को जब शहर जाती है ।
कवि दीपक सरल