कुंडलिया

कुंडलिया
केसर ढोल बजा रहे, नत्थू की चौपाल
झांझन झन-झन कर रहे, बजा-बजा कर थाल
बजा-बजा कर थाल, उछल कर गाते होली
पहन लिए सलवार, नयन से मारें गोली
गजब दिखाते रंग, पहनकर नथनी बेसर
दे कलुआ को दूध, मिलाकर उसमें केसर
-दुष्यंत ‘बाबा
मानसरोवर, मुरादाबाद।