अरे आज महफिलों का वो दौर कहाँ है
धोरां वाळो देस
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
अपने विचारों को अपनाने का
शादी वो पिंजरा है जहा पंख कतरने की जरूरत नहीं होती
जीवन में सही सलाहकार का होना बहुत जरूरी है
आँखें उदास हैं - बस समय के पूर्णाअस्त की राह ही देखतीं हैं
हमेशा अच्छे लोगों के संगत में रहा करो क्योंकि सुनार का कचरा
हर गली में ये मयकदा क्यों है
सुन-सुन कर दुखड़ा तेरा, उसे और वह बढ़ाती गई,
यह मेरी जन्मभूमि है(ठूँसरा)
नेपाली कथा : वान्डर बोका !
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)