मुक्तक

मुक्तक
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स्वप्न में प्रिय स्थान हमको खूब मन भाता कहीं है।
और मरुस्थल में नदी भी खूब छलकाता कहीं है।
कल्पना में दृश्य लगते हैं भले सुन्दर बहुत ही ।
सत्य से इनका कभी होता नहीं नाता कहीं है।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य