ये शतरंज की बिसात, खेल जीवन का है।

ये शतरंज की बिसात, खेल जीवन का है।
कहीं पे शह तो कहीं, मात का मंजर होगा।
खोजना होगा हमे, इन लम्हात के दामन में।
सिमटा हुआ जरूर, खुशी का समन्दर होगा।
मुमकिन है कि हार जाएं, हम कोई बाजी शायद।
न खेलने का मलाल तो, न हमारे अन्दर होगा।
आज हौसले की बूंद बनकर, छलका है मैदां में।
यकीनन ये बूंद ए हौसला, कल का समन्दर होगा।
श्याम सांवरा…