*”रूप घनक्षरी** छंद में …..

“रूप घनक्षरी* छंद में …..
कृष्ण से लगन लागे,जिह्वा बोले राधे -राधे ,
रोग -शोक दूर भागे,अंतस पुलकात है।
रोम- रोम सुख पाए, ज्ञान- चक्षु खुल जाए,
भक्ति- भाव डूबे उर ,आनंद बरसात है।
मिले ज्ञानियों को ज्ञान , संत्रास को निदान
सज्जनों को सुरधाम,भक्तों को भगवान है।
जो हैं अच्युत अनंत, लीलाधारी भगवंत,
करें पापियों का अंत ,भूतल भार जात है ।
अनामिका तिवारी अन्नपूर्णा ✍️