आई गईल परधानी मंगरू
आई गईल परधानी मंगरू
काहें खइबो तरकारी मंगरू
ढाबा -ढाबा दावत होइत बा
जा के खा बिरियानी मंगरू
व्होट बतावा केके देबाs
होके देबा या एके देबा s
बोका जाके बल भर चाँपs
खुश हो जईहे भवानी मंगरू
आई गईल परधानी मंगरू
काहें खइबो तरकारी मंगरू
गहबर गिल्ला संग ओबाकटावन पिल्ला
भोंकत बाटेन हम बोटी खाइब
बड़का चाउर के भात घोंटब हम
नाहीं मैदामय रोटी खाइब
माले – मुफ्ते – बेरहम बनी कै
तूँहूँ कइजा नदानी मंगरू
आई गईल परधानी मंगरू
काहें खइबो तरकारी मंगरू
होली आइल बा झूमत गावत
पियs रम्म व्हिस्की फ्री फंडा
पुरधान दिवा स्वप्नी फाइनांसर
खियइहें भुर्जी, मछरी औ अंडा
झम्म दे खुली थमसअप दुइ लिटरी
पियइहें बिसलेरी के पानी मंगरू
आई गईल परधानी मंगरू
काहें खइबो तरकारी मंगरू
नोट – बोट के फेर संगम होइ
बम – बम बमाटि बम- बम होइ
केहू जे मांगी ज़ब देशी ठर्रा
हाजिर बिसकी औरू रम होइ
तनिको न भटकाs कहीं न अटकाs
पकड़s ठेका के रजधानी मंगरू
आई गईल परधानी मंगरू
काहें खइबो तरकारी मंगरू
– सिद्धार्थ गोरखपुरी