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1 Mar 2025 · 1 min read

बस उसके लिए ही जिंदा हूं

हर दर्द मेरा अनसुलझा है
ग़म का अंधेरा गहरा है
दूर तक राह मेरी सूनी है
कभी जीवन में सुबह सुनहरी हो
बस उसके लिए ही जिंदा हूं

तेरे लिए मेरी चाहत की यादें हैं
साथ गुनगुनाए गीत की यादें हैं
तुझमें मुझमें जो दूरी है उसके
मिट जाने का इंतजार है
बस उसके लिए ही जिंदा हूं

जीवन की सुबह में भोर होगा
हवाओं में मन का जोर होगा
घनघोर अंधेरा को जाना होगा
खुशियों में फिर खोना होगा
बस उसके लिए जिंदा हूं
शिव प्रताप लोधी

Language: Hindi
21 Views
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