बस उसके लिए ही जिंदा हूं
हर दर्द मेरा अनसुलझा है
ग़म का अंधेरा गहरा है
दूर तक राह मेरी सूनी है
कभी जीवन में सुबह सुनहरी हो
बस उसके लिए ही जिंदा हूं
तेरे लिए मेरी चाहत की यादें हैं
साथ गुनगुनाए गीत की यादें हैं
तुझमें मुझमें जो दूरी है उसके
मिट जाने का इंतजार है
बस उसके लिए ही जिंदा हूं
जीवन की सुबह में भोर होगा
हवाओं में मन का जोर होगा
घनघोर अंधेरा को जाना होगा
खुशियों में फिर खोना होगा
बस उसके लिए जिंदा हूं
शिव प्रताप लोधी