होली

होली
शीर्षक :भरत जी ढारेला लोर
भरत जी ढारेला लोर ,
अभिओ नै अइलन भईया ।
भरत जी ढारेला लोर ,
अभियो नै अइलन भईया ।
भरत जी ढारेला लोर ,भरत ए हो
भरत जी ढारेला लोर ,भरत ए हो।।
चौदह बछर पर आबे के बेरिया,
चौदह बछर हल आबे के बेरिया।
अभी तक नै हे कउनो खबरिया,
अभी तक नै हे कउनो खबरिया।
रहिया जोहत होवइ भोर,
अभियो नै अइलन भईया।
भरत जी ढारेला लोर,
अभियो नै अइलन भईया।।
कउन विपतिया घेरलक रहिया,
कउन विपतिया घेरलक रहिया।
या ऊ बनलन वन के बसिया,
या ऊ बनलन वन के बसिया।
या हम्मरा देलन ऊ छोड़ , अभियो नै अइलन भईया।
भरत जी ढारेला लोर,
अभियो नै अइलन भईया।
भरत जी ढारेला लोर,
अभियो नै अइललन भईया।।
दिनराते हम्म पूजs ही खड़उयाँ,
हरदम जपs ही राम के नउयाँ।
कहिओ नै सुतली हम्म पलंगवा,
कुस बिछावन रहली देह नंगवा।
तहिओ देलका हम्मर दिल तोड़,
अभियो नै अइलन भईया।
भरत जी ढारेला लोर,
अभियो नै अइललन भईया।।
छछन-छछन भरत करे विलपवा,
इ देख परजा के फटे कलेजवा।
कैकेई के चलते ई दुरगतिया,
किसिम किसिम के करइ लोग बतिया।
मँझली ही देलकई कुल बोर,
अभियो नै अइलन भईया।
भरत जी ढारेला लोर,
अभियो नै अइललन भईया।।
नरेंद्र सिंह,गया
02.03.2025