“शिवमय सब हो जाए”

जो जपे महादेव का नाम तब शिवमय हो जाए ये संसार।
उनसे बढ़कर कोई न दूजा हर मंदिर हर घर में वो पूजे जाएं
राम नवाते सर अपना और हनुमान उनका रूप कहलाए।
जन्म मृत्यु का पता नहीं, कैलाश को घर अपना वो बनाएं।।
जटाओं से बहती है गंगा, भुजंग गले में अटकाए।
अर्धचन्द्र शोभित सर पर,मस्तक की शोभा बढ़ाएं।।
नंदी की करते हैं सवारी, डमरू को डम डम बजाए।
त्रिशूल में समेटे शक्ति अपनी, चारों दिशाओं में जब वो घुमाए।।
भस्म लिपटाये तन पर अपने, औघड़ दानी तब बन जाए।
आदर्श गृहस्थ जीवन का वो सारी दुनिया को पाठ पढ़ाये।।
खोले जब वो आंख तीसरी,प्रलय का सूचक बन जाए।
हिले आसमान हिल ये धरती,सारी सृष्टि कठनाई में आ जाए।।
शिवरात्रि दिन है प्यारा इस दिन माँ गौरी संग ब्याह रचाए।
अर्धनारीश्वर बनकर,पुरुष और स्त्री का भेद भी वही मिटाए।।
विष का घड़ा कंठ उतार वो नीलकंठ कहलाए।
देवगण को रखे सुरक्षित,खुद विष का रसपान कर जाए।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”