– तुझे पाने की ख्वाईश ख्वाईश ही रह गई –
– तूने पाने की ख्वाईश ख्वाईश ही रह गई –
तूने अपनाने की थी तमन्ना मेरी,
तेरे साथ सात फेरे लेकर के,
सात जन्म तक साथ निभाने का ख्याल था मेरा,
इस दुनिया को मोहब्बत करने वालो की मोहब्बत आंखों में खटक गई,
तेरे घरवालों में और मेरे घरवालों में अड़ गई,
मुझे छोड़ना पड़ा तुझे अपनो की खातिर,
तूने भी छोड़ा मुझे तेरे अपनो की खातिर,
कहानी हमारी इस तरह अधूरी रह गई,
प्रेम कथा का दुखद अंत हुआ,
पहला प्रेम तो पहला प्रेम होता है,
जो निस्वार्थ, निश्चल, निर्मल होता है,
उसको तूने भी गवाया उसको मैने भी गवाया,
तुझे पाने की ख्वाईश ख्वाईश ही रह गई,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान