मन के सखी रे

अख़बारों के ख़बर अफवाहें हुई हैं
जिन्दगी में काँटों से बिछी राहें हुई हैं
मेरी जिन्दगी अब मेरी ना हुई हैं
दूसरों के लिए ए तेरी ना हुई हैं
अफ़सोस करें तो करें किस लिए जी
बताओं सखी हम जिए किस लिए जी
भावनाओं से खेलें जमाना सखी रे
निभाना हैं वादा बताना सखी रे
भुलाऊँ किसे तो मनाऊँ किसे मैं
जताऊँ किसे तो दिखाऊँ किसे मैं