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17 Feb 2025 · 2 min read

वाह वाह सरकारी नौकरी

(शेर)- लेकिन यह भी तो सच्चाई है, कुछ सरकारी कर्मचारी ऐसे भी होते हैं।
होते हैं कामचोर,वलापरवाह-भ्रष्ट, फोकट की मोटी तनख्वाह लेते हैं।।
करते हैं आराम वो काम के समय, या फिर व्यस्त मोबाईल में होते हैं।
सच ऐसे ही सरकारी कर्मचारी, बदनाम सरकारी संस्थाओं को करते हैं।।
————————————————————-
मर्जी पड़ी तो किया काम, नहीं तो किया आराम।
ना कोई सजा, ना कोई दबाव, ऐसा है जिसमें आराम।।
हाँ, वह है सरकारी नौकरी, वाह वाह सरकारी नौकरी।।
वाह वाह सरकारी नौकरी, वाह वाह सरकारी नौकरी।।
मर्जी पड़ी तो किया काम——————–।।

नौ दिन चले अढ़ाई कोस, ऐसी है रफ्तार काम की।
करवाना है जल्दी काम तो, होती है रिश्वत काम की।।
जुड़वाते जनता से हाथ, करवाते जनता से सलाम।
नहीं है कोई डर और फिक्र, ऐसा है जिसमें आराम।।
हाँ, वह है सरकारी नौकरी, वाह वाह सरकारी नौकरी।।
वाह वाह सरकारी नौकरी, वाह वाह सरकारी नौकरी।।
मर्जी पड़ी तो किया काम———————।।

करते हैं बदसलूकी लोगों से, खुद को सरकार मानकर।
करते हैं परेशान जनता को, कानून का डर दिखाकर।।
मर्जी पड़े तो जाये नौकरी, नहीं तो घर पर आराम।
खूब है मौज,मलाई- जश्न, ऐसा है जिसमें आराम।।
हाँ, वह है सरकारी नौकरी, वाह वाह सरकारी नौकरी।।
वाह वाह सरकारी नौकरी, वाह वाह सरकारी नौकरी।।
मर्जी पड़ी तो किया काम———————।।

मिलती है मोटी तनख्वाह, बहुत सारी मिलती सुविधा।
साकार सभी सपनें होते, नहीं जीवन में कोई दुविधा।।
नहीं कोई चिंता भविष्य की, ऐसा ही है जिसमें इंतजाम।
नहीं खौफ जिसमें नियमों का, ऐसा है जिसमें आराम।।
हाँ, वह है सरकारी नौकरी, वाह वाह सरकारी नौकरी।।
वाह वाह सरकारी नौकरी, वाह वाह सरकारी नौकरी।।
मर्जी पड़ी तो किया काम———————।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ साहित्यकार
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
Tag: गीत
34 Views
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