हसरतें हैं जो अब, धुंधली सी नजर आती हैं।

हसरतें हैं जो अब, धुंधली सी नजर आती हैं।
आंखों में हैं वही चमक, मंजिल दूर नजर आती है।
लगता है कि शूर हुआ, मंजिल को देखते देखते।
शायद तभी मेरी मंजिल, मुझे हर ओर नजर आती है।
श्याम सांवरा….
हसरतें हैं जो अब, धुंधली सी नजर आती हैं।
आंखों में हैं वही चमक, मंजिल दूर नजर आती है।
लगता है कि शूर हुआ, मंजिल को देखते देखते।
शायद तभी मेरी मंजिल, मुझे हर ओर नजर आती है।
श्याम सांवरा….