सरसी छंद
विषय -वीभत्स रस*
विधान -सरसी छंद16/11*
सृजन दृश्य – महाभारत युद्ध में भीम का दु:शासन की छाती फाड़कर रक्त पान करना।
दु:शासन था कपटी पापी, छोड़ धर्म का ज्ञान।
भरी सभा में हर था डाला,पांचाली का मान।।
किया भीम ने प्रण फिर भारी,तोडूंगा अभिमान।
मारूंगा मैं रण में उसको,लूंगा उसकी जान।।
युद्ध भूमि में बाजा डंका, भीम भरे हुंकार।
दुःशाशन को पटका मारा, किया गदा से वार ।।
हाथ उखाड़े पहले तन से, फिर सिर लहू लुहान।
फाड़ दिया छाती को उसकी,किया रक्त का पान।।
केशों को तब पांचाली ने,देकर शोणित स्नान ।
शांत करायी मन की पीड़ा, हुआ खुशी का भान ।।
धर्म युद्ध को लड़ कर जीता,बचा लिया निज मान।
पांडव हृषित होते सारे, गाते हैं जय गान।
सीमा शर्मा