महानायक दशानन रावण/ mahanayak dashanan rawan 01 by karan Bansiboreliya
न ख्वाबों में न ख्यालों में न सपनों में रहता हूॅ॑
खुद निर्जल उपवास रख, करते जो जलदान।
हयात कैसे कैसे गुल खिला गई
#मुझे ले चलो
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
*26 फरवरी 1943 का वैवाहिक निमंत्रण-पत्र: कन्या पक्ष :चंदौसी/
मैं तेरे गले का हार बनना चाहता हूं
ये मन रंगीन से बिल्कुल सफेद हो गया।
*खो दिया है यार को प्यार में*
नारी तेरी यही अधूरी कहानी
बड़े बुजुर्गों का गिरा, जहां नैन से नीर
हर इंसान को भीतर से थोड़ा सा किसान होना चाहिए
मौसम और कुदरत बर्फ के ढके पहाड़ हैं।
*माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप - शैलपुत्री*