श्येन दोहा
श्येन दोहा
श्येन दोहा
19 गुरु 10 लघु
निर्मल जगती ज्योति है, हैं नवराते खास।
साँचा माँ का द्वार है, पूरी होती आस।।
चोला माँ का लाल है, चूड़ा भी है लाल।
चूनर सजती माथ है, टीका सजता भाल।।
मात भवानी आ गयी, आयी खुशियां द्वार।
ज्योति जलाओ भाव से,पाओ माँ का प्यार।।
माता तुमको पूजती, जोडूं दोनों हाथ।
मेरी रखना लाज माँ, रहना मेरे साथ।।
खाना माँ तुम प्रेम से ,हलवा पूड़ी भोग।
मान बढाना दास का,काटो सारे सोग।।
सीमा शर्मा ‘अंशु’