गले से लगा लो , सदाक़त जहाँ में

एक गज़ल एक संदेश ,,,,
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1,,,
गले से लगा लो , सदाक़त जहाँ में ,
खुदा ने ही बख्शी, मुहब्बत जहाँ में ।
2,,,
बनाया खुदा ने , नहीं फर्क़ रक्खा ,
रखो दूर खुद से , ये नफ़रत जहाँ में ।
3,,,
दिये माँ-पिता भी, तेरी परवरिश को ,
तुझे है सिखाई , मशक़्क़त जहाँ में ।
4,,,
रखा साथ साया ,दुआ में असर भी ,
रखी दूर तुझसे भी , तुहमत जहाँ में ।
5,,,
दिया हौसला जब , गिरा तू ज़मीं पर ,
सिखाया , न हारे , तु हिम्मत जहाँ में ।
6,,,
दिया नर्म दिल और खिदमत का जज़्बा ,
उसी के करम से , है इज़्ज़त जहाँ में ।
7,,,
बनो फूल , खुशबू के जैसे मिलो सब ,
समझ लो, इसी से , है बरकत जहाँ में ।
8
दिया सारे आलम ,को दौलत व दरजा,
फक़त ‘नील’ को दी ,नज़ाकत जहाँ में ।
✍🏻नील रूहानी,,,