कुंडलिया ….
कुंडलिया ….
नर-नारी में हो गयी, अधिकारों की जंग ।
कुचल पुरुष के अहं को, नारी हुई दबंग ।
नारी हुई दबंग, पुरुष अब नैन झुकाए ।
रंग बदलते देख, पुरुष अब सहमा जाए ।
कह ‘सरना ‘ कविराय, प्रणय तो है बीमारी ।
आंखें करके बन्द , जलें दोनों नर-नारी l
सुशील सरना