ऐसे हैं मेरे साहब जी😊😊

(शेर)- कर नहीं सकते तुम बराबरी, मेरे साहब जी की।
सच ऐसी ही हस्ती है दुनिया में, मेरे साहब जी की।।
नहीं कोई चिंता और डर, नौकरी में मेरे साहब जी को।
सच ऐसी ही पकड़ है सरकार में, मेरे साहब जी की।।
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महल जैसे घर में, रहते हैं मेरे साहब जी।
राजा सा जीवन, जीते हैं मेरे साहब जी।।
सबसे निराले, सबसे अलग है मेरे साहब जी।
सच में यारों, ऐसे हैं मेरे साहब जी।।
महल जैसे घर में———————-।।
मेरे साहब जी करते हैं, सरकारी नौकरी।
बहुत मजे की होती है, सरकारी नौकरी।।
अपनी मर्जी के राजा है, सरकारी नौकरी में।
पाते हैं मोटी तनख्वाह, मेरे साहब जी।।
महल जैसे घर में———————-।।
बहुत जमीन-जायजाद, मेरे साहब जी के पास है।
अधिकारी-मंत्रियों के, सच मेरे साहब जी ख़ास है।।
इसीलिए नहीं है उनको डर, सरकारी नौकरी में।
रखते हैं सभी से सांठगांठ, मेरे साहब जी।।
महल जैसे घर में———————-।।
बहुत कमाते हैं पैसा वो, रिश्वत और कमीशन से।
हो गये मोटे- लाल बहुत वो, तन और कमीशन से।।
नहीं कमी उनके जीवन में, मस्ती और शौहरत की।
चलते हैं महंगी कारों में, सच मेरे साहब जी।।
महल जैसे घर में———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)