नव वर्ष

गीत
====
नव वर्ष हमारा आया है, इसका तुम सत्कार करो।
प्रकृति हमारी बता रही है, जीवन में नव रंग भरो।।
है पवित्र यह चैत्र मास, इसकी तिथि है यह बहुत खास।
प्रथम तिथि और शुक्ल पक्ष,भरते जीवन में हर्षोल्लास।
है परम पुनीता दिवस आज,तुम भी तो जरा विचार करो।
प्रकृति हमारी बता रही है, जीवन में नव रंग भरो।।
नवरात्रि व्रत का प्रथम दिवस,कर रहे सभी पूजन वंदन।
हो रहे यज्ञ और मंत्रोच्चार, है महक रहा रोली चंदन।
विक्रमादित्य का रण कौशल,वह विक्रम संवत याद करो।
प्रकृति हमारी बता रही है, जीवन में नव रंग भरो।।
आम्रबौर लताऐं पुष्पित कलियां, वृक्षों ने भी नव पर्ण धारे हैं।
दलहन तिलहन गेहूं जैसी फैसले, हालधर के भरे भंडारे हैं।
सब सुखी राज प्रमुदित समाज,मम अभिनंदन स्वीकार करो।
प्रकृति हमारी बता रही है, जीवन में नव रंग भरो।।
नव वर्ष हमारा आया है, इसका तुम सत्कार करो।
प्रकृति हमारी बता रही है, जीवन में नव रंग भरो।।
~राजकुमार पाल (राज)
(स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित)