जीवन एक उत्सव

जीवन का संबंध – किसी भी धर्म से नहीं,
धर्म एक आचरण मात्र है.
उसको धारण किये बिन भी,
जीवन में श्रेष्ठता की ऊंचाइयों को छूआ जा सकता है,,
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जो कुछ करोगे,
सब अपने लिए,
जीवन बेहद सहज होता है,
बसरते आप खुद सहज हैं,
….
गड्ढे खोदने वाले को डर,
होना चाहिए,
कहीं खुद ही,
उसमें गिर न जाये !
…..
जिम्मेदार होने में व्यवहार झलकता है,
वह विद्रोह करता है,
तब भी अच्छा लगता है,
……
जीवन में भोगने जैसा कुछ नहीं है,
न भूतो – न भविष्यति.
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किस बात का रोना !
खुश रहना, या दुखी होना,
…
सभी के अपने – अपने व्यवहारिक आचरण होते हैं,
सामुहिक घटनाओं में खुद को जिम्मेदार ठहराना,
एक तरह का मनोविकार है,
.।।।।.
इस दुनिया में हम दूसरों को सुधारने के लिए पैदा नहीं हुए,
इसलिए हमें,
अपना लक्ष्य बनाकर, उस ओर बढ़ना चाहिए,
न कि उससे विचलित करने वाली,
किसी की भटकाऊ बातों में आकर, भटक जाना …
…..
अगर आप हर तरफ से आजाद रहना चाहते हैं,
आपको अपनी और बाहरी प्रकृति में सह- सामंजस्य बिठाने होंगे 🎯
……
अगर कोई इंसान पत्थर है,
तो वह पत्थरों में टक्कर मारने – तीर्थ स्थलों के बहाने,
मनोबल पाने की चेष्टा करते रहेगा ,,,
ऐसा मनुष्य कभी भी जीवन संरक्षक नहीं हो सकता ✍️
……
महेन्द्र सिंह खालेटिया