ज्ञानपुंजम

बसंत पंचमी
माघ मास शुक्ल पक्ष
तिथी पाँच बसंत ऋतु
महीना जनवरी फरवरी
ऋतुओं में श्रेष्ठ ऋतुराज
बसंत उत्साह उमंग भरा
अति निराली शुभकारी
मंगलदायनी अमित अनंत
गुणशालिनी तेजस्विनी माँ
ज्ञानदेवी अधिष्ठात्री शारदा
जन्मदिन की मनोहार गाथा
नवप्राण उत्साह महापर्व
चारभुजा जटाजूट अर्धचंद
नीलग्रीवा त्रिलोक जननी
रूप यौवन त्रिगुण स्वामिनी
शांत सौम्य दुग्ध श्वेतवर्णी
हंशासन वीणाधारणी माँ
मुखारक्षित दिव्यपादाम
कमलासान पुस्तकधारणी
पावन छटा बिखेरंती ये माई
पीली सरसों श्वेत पुष्प मध्य
आम्रमंजरी भौरों का गूंजन
प्रकोप छोड़ पंचतंत्र सुहावन
जल वायु धरणी नभ अग्नि
शीतल मोहक अति भावनी
अग्नि होय रुचिकर लुहावन
सौंदर्यता नव दर्शन करावन
ठंड ठिठुरे विहग उड़नखटोला
क्षितिज मापने धरती छोड़ते
आकाश स्वच्छ वायु सुहावनी
दलहन फूलें गेहूँ जौ लहलहाती
झूमते हिलौरते फसल वादियाँ
प्रकृति नव सौंदर्य जन इठलाते
शिशिर प्रताड़ना पाकर मुक्ति
कृषक सुख का एहशास करते
पुनर्जन्म हो जब श्रावण पनपी
हरियाली का तब शरद में हेमंत
शिशिर वृद्धापन से मुरझाते
इन्हें ऋतुराज सौन्दर्य लौटाते
नवगात नवपल्लव नवकुसुम
नवगंध उपहारों से विलक्षण
बसंती ऊर्जा संचारित करते
धार्मिक आध्यात्मिक माघमास
पवित्र तीर्थ महाकुम्भ स्नानादि
शुभ मुहूर्त गृह प्रवेश विद्यारंभ
धर्म कर्म पूजा अर्चना प्रकृति
जग में सुख समृद्धि की मंगल
कामना से नई शुरुआत करते ।
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टी . पी . तरुण