मुक्तक

मुक्तक
दूसरों की पीर, जब तुझे भीतर तक सताने लगे
दूसरों के गम मे, जब तेरी आँखों में आँसू आने लगे l
तेरी खुद की पीर, जब तुझसे जी चुराने लगे
समझ लेना तुम, एक पूर्ण मानव हो गए हों ll
अनिल कुमार गुप्ता अंजुम
मुक्तक
दूसरों की पीर, जब तुझे भीतर तक सताने लगे
दूसरों के गम मे, जब तेरी आँखों में आँसू आने लगे l
तेरी खुद की पीर, जब तुझसे जी चुराने लगे
समझ लेना तुम, एक पूर्ण मानव हो गए हों ll
अनिल कुमार गुप्ता अंजुम