क्या इसी तरहां कल तक

क्या इसी तरहां कल तक, अपना यह साथ रह पायेगा।
क्या इसी तरहां कल भी, अपना हाथ नहीं छूट पायेगा।।
क्या इसी तरहां कल तक——————–।।
जो मंजिल हमने चुनी हैं, जिस राह पर कदम ये बढ़े हैं।
जो ख्वाब हमने देखा है, जिस मकसद से हम जुड़े हैं।।
गर कोई नश्तर चुभ गया पैर में, कल अपनी राह में।
क्या इसी तरहां कल तक, अपना यह जोश रह पायेगा।।
क्या इसी तरहां कल तक———————-।।
हालत अपनी आज ऐसी है, एक पल भी नहीं है दूर हम।
बांट रहे हैं आज मिलकर, एक दूजे की खुशी और गम।।
गर कल को हम मिल नहीं पायें, और दूर हम चले जायें।
क्या इसी तरहां कल तक, अपना यह विश्वास रह पायेगा।।
क्या इसी तरहां कल तक———————।।
कितनी वफ़ाएँ हमने की है, नहीं बदलेगा कल दिल अपना।
हरदम निभायेंगे हम कसमें, नहीं रूठेगा कभी प्यार अपना।।
गर हमसे हसीन ज्यादा कोई मिल गया, हमको कल को।
क्या इसी तरहां कल तक, अपना यह प्यार रह पायेगा।।
क्या इसी तरहां कल तक———————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)