तुम
भोली हो तुम गाय के जैसी,
और चंचल हिरनी जैसी तुम ।
मुस्कान तुम्हारी प्यारी सी,
साक्षात प्रेम हो आँचल तुम ।।
कंठ से बिल्कुल कोयल सी,
और कहो बात तो तोता तुम ।
रखो कदम तो गजगामिनी सी,
और करो सुरक्षा तो कुकर तुम ।।
गुस्सैल हो बिल्कुल नागिन सी,
और स्नेह बरसाओ तो माई तुम ।
लट लटकाओ तो लगो अप्सरा,
नयन मटकाओ तो कातिल तुम ।।
प्रेम करो तो लगो सखी सी,
प्रेम जताओ तो सखा हो तुम ।
दुश्मन बनो तो लगो दोस्त सी,
और अपनी बनो तो मित्र भी तुम ।।
करो प्रेम तो जानेमन सी,
करो क्रोध तो लगो यार तुम ।
हँसी मजाक मे सलहज सी,
और टाग खिचाई मे साली तुम ।।
चुपचाप करो तुम प्रेम प्रेमिका सी,
हक जताओ तो अर्धांगिनी तुम ।
ममता की तुम हो मूर्त सी,
ललकार के तो प्राण भी तुम ।।
ललकार भारद्वाज
19 जनवरी 2025