हे प्रिय

हे प्रिय
अपना कर ठुकराया तुमने
दिल से हमे भुलाया क्यों
संग रोते फिर भी अच्छा था
खुद हंस हमे रुलाया क्यों
✍️कृष्णकांत गुर्जर
हे प्रिय
अपना कर ठुकराया तुमने
दिल से हमे भुलाया क्यों
संग रोते फिर भी अच्छा था
खुद हंस हमे रुलाया क्यों
✍️कृष्णकांत गुर्जर