जहां भी रहे, जैसे भी रहे, आनन्दमय जीवन जिएं।

जहां भी रहे, जैसे भी रहे, आनन्दमय जीवन जिएं।
वरना इस परछाई का क्या भरोसा? कब?
बादलों की छांव से अपना आकार भुल जाएं।
@जय लगन कुमार हैप्पी
बेतिया, बिहार।
जहां भी रहे, जैसे भी रहे, आनन्दमय जीवन जिएं।
वरना इस परछाई का क्या भरोसा? कब?
बादलों की छांव से अपना आकार भुल जाएं।
@जय लगन कुमार हैप्पी
बेतिया, बिहार।