sp68रह-रह के/ उन्हें है इश्क/ इलाही इस कदर
sp68रह-रह के/ उन्हें है इश्क/ इलाही इस कदर
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रह रह के जल रहा है कही बुझ न जाय दिल
गर बुझ गया तो कैसे चरांगा करेंगे वो
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उन्हें है इश्क़ रुसवाई से गर मालूम होता ये
तो हम भी इस ज़माने में यकीनन बेवफा होते
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इलाही इस कदर कुछ बढ़ गई दीवानगी अपनी
कि खुद ही अपनी सूरत हमसे पहचानी नही जाती
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
( अतीत का ख्वाब लखनवी)
यह भी गायब वह भी गायब