(दोहा सप्तक )…… मैं क्या जानूं
(दोहा सप्तक )…… मैं क्या जानूं
मैं क्या जानूं आज का, कल क्या होगा रूप ।
सुख की होगी छाँव या , दुख की होगी धूप ।।
मैं क्या जानूं भोर का, क्या होगा अंजाम।
दिन बीतेगा किस तरह , कैसी होगी शाम ।।
मैं क्या जानूं जिन्दगी, क्या बदलेगी रूप ।
उड़ जाए कब छोड़ कर , पंछी तन का कूप ।।
मैं क्या जानूं वक्त की, कल क्या होगी चाल ।
सब कुछ होगा ठीक या, होगा नया सवाल ।।
मैं क्या जानूं जिन्दगी, तृप्ति रही या प्यास ।
इसके घट पर कौनसी, होगी अन्तिम श्वास ।।
मैं क्या जानूं प्रीति क्यों, बदले पल -पल रंग ।
उसके सपने रात भर, क्यों करते हैं तंग ।।
मैं क्या जानूं आदमी, क्यों बदले है रंग ।
उसके गिरगिट रूप को, देख ईश भी दंग ।।
सुशील सरना / 31-1-25