सुबह-शाम

सुबह शाम आए तेरी याद।
कर रखा है मुझे बर्बाद।
गमों के इतने ,यहां झमेले
रोज़ बढ़े जिनकी तादाद।
भुलाना बहुत चाहा तुमको
किससे करें हम फरियाद
आजाद करें हमें बेड़ियों से
ए खुदा कर कोई इमदाद।
भुला दिया जो तूने हमको
दुआ है तू रहे शाद।
सुरिंदर कौर