शायद वो हमें, अपने दर पर ही मिल जाते।

शायद वो हमें, अपने दर पर ही मिल जाते।
अगर हम गली से, पहले न निकल जाते।
तेज चलने की, अपनी चाहत में।
हम अपनों को ही, जुदा कर बैठे।
ये हमारे जहन में, आया नहीं सावरे।
वो हमारे दरस़ को, मेरे दर पर थे बैठे।
श्याम सांवरा…