Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jan 2025 · 1 min read

Log to jalte hi hai

Log to jalte hi hai
aur ham haste hi hai…..😊

लोग तो जलते ही है
और हम हंसते ही है

Language: Hindi
1 Like · 31 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from shabina. Naaz
View all

You may also like these posts

कीमत
कीमत
Ashwani Kumar Jaiswal
..
..
*प्रणय प्रभात*
खिंची लकीर
खिंची लकीर
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मैं बेबस सा एक
मैं बेबस सा एक "परिंदा"
पंकज परिंदा
कभी उसकी कदर करके देखो,
कभी उसकी कदर करके देखो,
पूर्वार्थ
*घूम रहे जो रिश्वत लेकर, अपना काम कराने को (हिंदी गजल)*
*घूम रहे जो रिश्वत लेकर, अपना काम कराने को (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
बंदर मामा
बंदर मामा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
अग्नि कन्या बीना दास
अग्नि कन्या बीना दास
Dr.Pratibha Prakash
शिक्षा इतनी अद्भुत होती है की,
शिक्षा इतनी अद्भुत होती है की,
Buddha Prakash
मेरी दोस्ती के लायक कोई यार नही
मेरी दोस्ती के लायक कोई यार नही
Rituraj shivem verma
लेख
लेख
Praveen Sain
सच हकीकत और हम बस शब्दों के साथ हैं
सच हकीकत और हम बस शब्दों के साथ हैं
Neeraj Kumar Agarwal
देश भक्ति गीत
देश भक्ति गीत
Neelam Sharma
सिंह सा दहाड़ कर
सिंह सा दहाड़ कर
Gouri tiwari
मेरे पलों को भी संवारा करो,
मेरे पलों को भी संवारा करो,
Jyoti Roshni
पीड़ाएँ
पीड़ाएँ
Niharika Verma
ममत्व की माँ
ममत्व की माँ
Raju Gajbhiye
पैसा
पैसा
krupa Kadam
GK88 là nền tảng cá cược trực tuyến uy tín, được đánh giá ca
GK88 là nền tảng cá cược trực tuyến uy tín, được đánh giá ca
gk88newdigital
राम
राम
Sanjay ' शून्य'
--शेखर सिंह
--शेखर सिंह
शेखर सिंह
घड़ी का इंतजार है
घड़ी का इंतजार है
Surinder blackpen
. मत देना पंख
. मत देना पंख
Shweta Soni
सच कहना जूठ कहने से थोड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि इसे कहने म
सच कहना जूठ कहने से थोड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि इसे कहने म
ruby kumari
प्राकृतिक सौंदर्य
प्राकृतिक सौंदर्य
Rahul Singh
वो तारीख़ बता मुझे जो मुकर्रर हुई थी,
वो तारीख़ बता मुझे जो मुकर्रर हुई थी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कोरोना आपदा
कोरोना आपदा
Khajan Singh Nain
वो ख़ुद हीे शराब-ए-अंगूर सी महक रही है ,
वो ख़ुद हीे शराब-ए-अंगूर सी महक रही है ,
Shreedhar
धरती को तरुओं से सजाना होगा
धरती को तरुओं से सजाना होगा
राकेश पाठक कठारा
न कभी सच हो सकने वाली मेरी कल्पना / मुसाफिर बैठा
न कभी सच हो सकने वाली मेरी कल्पना / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
Loading...